आज कल केवल एक ही चीज चर्चा में बनी हुई है - "महाराष्ट्र हमारा है... बस !"
ऐसे ही कुछ विचारों के इर्द गिर्द परेशान है हमारे देश की एक "सेना". सारे न्यूज़ चेंनेल पर बस यही खबर है चाहे वो स्टार न्यूज़ हो या हो आज तक. सेना के प्रमुख कार्यकर्ता सब यही बताने और जताने में लगे हैं कि कैसे और क्यूँ भारत देश के नागरिकों को (जो मराठी नहीं हें ) उन्हें मुंबई से दूर रखा जाए और और अपनी सियासी रोटियां सेकी जाएँ.
जब ऐसी घटनाएं और विचारधारा देश के बच्चों और युवा नागरिकों में प्रवाहित होगी तो कैसे बनेगा हमारे सपनों का भारत. एक ऐसा भारत जिसका सपना हमारे महापुरुषों ने देखा था . हमारा अपना विकसित भारतवर्ष. वो भारत जो भिन्न - भिन्न जाति, प्रान्तों, धर्मों के होते हुई भी एकता का सन्देश दे.
इस तरह का माहोल को देख कर ऐसा लगता है कि हमारा सपनों का भारत सपनों में ही रहे जाएगा. आधे भारत को अंगेरेज लूट गए और बचे हुए को ऐसे ही नेताओं की मानसिकता लूट रही है हर पल. देश को तोड़ा जा रहा है और यह एक सच है.
पता नहीं इन सब घटनाओं का अंत क्या होगा कैसा होगा पर जरूरत इस बात पर ध्यान देने की है कि क्या ये मुद्दा वास्तव में राष्ट्रीय सुरक्षा का नहीं है ? पडोसी देश तो बाद में हमला करेगा , पहले अपने को देश का रखवाला बोलने वाले तो हमला करना बंद करें.
अंतिम सच हमेशा यही रहेगा " भारत एक है और एक ही रहेगा ".
--- जय हिंद
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